Option Trading: शुरुआती कोर्स – कैसे शुरू करें (भाग 1)
हमारी तीन-भागों की सीरीज़ – Option Trading: शुरुआती कोर्स – कैसे शुरू करें (भाग 1) में आपका स्वागत है! यह यात्रा options को आसान बनाती है और आपको आत्मविश्वास से trade करने में मदद करती है। Part 1 में हम मूल बातें समझते हैं – options क्या हैं, ये क्यों मौजूद हैं, और call और put में क्या अंतर है। हम कुछ सामान्य शुरुआती गलतियाँ भी बताएंगे, जैसे over leveraging करना या किसी hot tip के पीछे भागना। जब आप अंत तक पहुँचेंगे, तो आपके पास एक मजबूत foundation होगा। तैयार हैं शुरुआत करने के लिए? आइए Part 1 में options की बुनियादी बातें जानें और सफलता की दिशा में पहला कदम बढ़ाएँ।

मॉड्यूल 1: Options वास्तव में हैं क्या?
रोज़मर्रा की अटकलें और Options
लोग रोज़मर्रा की ज़िंदगी में दाम बढ़ने या घटने की अटकल लगाते हैं, और उसी आधार पर निर्णय लेते हैं। उदाहरण के लिए, एक किसान सोचता है कि कम सप्लाई के कारण चावल के दाम बढ़ेंगे। एक खरीदार आज की कीमत पर सौदा पक्का करने के लिए एडवांस देता है, जिससे उसे बाद में खरीदने का option मिल जाता है। यह एडवांस option trading में premium जैसा होता है, जहाँ आप अधिकार के लिए भुगतान करते हैं, ज़रूरी नहीं कि आप खरीदें। इसी तरह stock market में भी लोग भाव के अनुमान के आधार पर options का इस्तेमाल करते हैं, ताकि वे अपने अनुमान के अनुसार action ले सकें।
Options और Premium क्या होते हैं?
Option एक contract होता है, जो आपको एक तय तारीख से पहले किसी चीज़ को तय कीमत पर खरीदने या बेचने का अधिकार देता है, लेकिन कोई ज़रूरी बाध्यता नहीं होती। Premium वो फीस होती है जो आप इस contract के लिए चुकाते हैं। आसान शब्दों में कहें, तो ये एक छोटा खर्च होता है भविष्य में निर्णय लेने की आज़ादी के लिए। Options आपको बिना ownership लिए दामों में बदलाव पर speculate करने का मौका देते हैं।
Option trading और रोज़मर्रा की ज़िंदगी
मान लीजिए राहुल, एक college student है, जिसे ₹5,000 वाली limited-edition sneakers पसंद हैं। उसे लगता है कि demand ज़्यादा होने के कारण कीमत बढ़ेगी। इसलिए वह ₹200 एडवांस देकर उन्हें ₹5,000 में एक महीने के लिए reserve करता है। यह ₹200 उसका premium है और यह reservation उसका option है। अगर कीमत ₹6,000 हो जाती है, तो वह ₹5,000 में खरीदकर फायदा कमाता है; नहीं बढ़ी तो केवल ₹200 का नुकसान।
Options Trading और शेयर मार्केट
Market में option trading आपको बिना shares खरीदे दाम के बदलाव पर speculate करने देते हैं। उदाहरण के लिए, सागर नाम का एक युवा investor मानता है कि Infosys का शेयर बढ़ेगा। वह Infosys को तय कीमत पर खरीदने का option खरीदता है और premium चुकाता है। अगर भाव बढ़ता है, तो उसे मुनाफा होता है; नहीं बढ़ा तो सिर्फ premium का नुकसान होता है। इस तरह, options market अनुमान पर कम risk में काम करने का तरीका देते हैं।
उदाहरण (Examples)
रोज़मर्रा की ज़िंदगी: नियति, एक wedding planner, अनुमान लगाती है कि शादी के सीज़न में venue की कीमतें बढ़ेंगी। वह ₹1,000 premium देकर ₹50,000 पर venue reserve करती है, ताकि बाद में निर्णय ले सके।
भारतीय शेयर बाजार: अदिति, एक teacher, ₹300 का premium देकर ₹10,000 पर Maruti Suzuki का option खरीदती है। उसे लगता है Maruti के shares की कीमत बढ़ेगी, और वो कम risk में मुनाफा कमाना चाहती है।
लोग प्रीमियम क्यों चुकाते हैं?
लोग premium इसलिए चुकाते हैं ताकि उन्हें भविष्य में तय कीमत पर खरीदने या बेचने का अधिकार मिल सके। इससे risk सीमित होता है – अगर कीमत उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ती, तो सिर्फ premium का नुकसान होता है। साथ ही, यह छोटे upfront cost में बड़ा फायदा पाने का तरीका होता है। जैसे राहुल sneakers के लिए premium देता है ताकि दाम बढ़ने पर फायदा हो सके।

Calls बनाम Puts: दो मुख्य प्रकार
Call option आपको तय तारीख से पहले किसी चीज़ को तय कीमत पर खरीदने का अधिकार देता है। इसके विपरीत, put option आपको तय कीमत पर बेचने का अधिकार देता है। दोनों के लिए आपको premium देना होता है, जो आपके अनुमान पर आधारित होता है। जब दाम बढ़ने की उम्मीद हो, तब call लिया जाता है; जब गिरने की उम्मीद हो, तब put।
रोज़मर्रा की ज़िंदगी में Call
मान लीजिए मयंक, एक gadget lover है, जो सोचता है कि एक नया फोन ₹20,000 से महंगा होगा। वह ₹500 का premium देकर एक महीने के लिए उसे ₹20,000 पर reserve करता है। अगर दाम ₹22,000 हो जाते हैं, तो वह ₹1,500 बचाता है। यह call option की तरह है – premium देकर वह खरीदने का विकल्प सुरक्षित करता है।
रोज़मर्रा की ज़िंदगी में Put
ऋषिका, एक small business owner है, और चाहती है कि वह अपना पुराना लैपटॉप ₹15,000 में बेचे। उसे लगता है कि नए मॉडल्स के कारण कीमत गिर जाएगी। इसलिए वह ₹300 का premium देकर ₹15,000 पर एक buyer lock करती है। अगर कीमत ₹13,000 हो जाती है, तो वह ₹15,000 में बेचकर बचत करती है – ये put option जैसा है।
शेयर मार्केट और Call
Market में, call option आपको तय कीमत पर शेयर खरीदने का अधिकार देता है। जैसे प्रतीक्षा, एक IT professional, सोचती है कि Infosys ₹1,500 से ऊपर जाएगा। वह ₹1,500 strike price पर call option लेती है और ₹30 का premium चुकाती है। अगर Infosys ₹1,600 तक जाता है, तो वह ₹1,500 पर खरीदती है और ₹7,000 का मुनाफा कमाती है (₹3,000 premium घटाकर)।
शेयर मार्केट और Put
Put option आपको शेयर तय कीमत पर बेचने का अधिकार देता है। जैसे अदिति सोचती है कि HDFC Bank ₹1,400 से नीचे जाएगा। वह ₹1,400 strike price पर put option खरीदती है, और ₹25 का premium देती है। अगर HDFC ₹1,300 पर गिरता है, तो वह ₹1,400 पर बेचकर ₹10,000 का फायदा कमाती है (₹2,500 premium घटाकर)।

लोग कॉल/पुट क्यों खरीदते हैं?
मयंक call खरीदता है क्योंकि उसे लगता है Infosys बढ़ेगा, और वह कम risk में फायदा चाहता है। ऋषिका put खरीदती है क्योंकि उसे HDFC Bank गिरने की आशंका है, और वह नुकसान से बचना चाहती है। Premium इस मौके की कीमत है, जो उनका downside limit करता है।
लोग कॉल/पुट क्यों बेचते हैं?
Options बेचने से premium कमाया जाता है, जब आपको लगता है कि कीमतें अनुमान के अनुसार नहीं बदलेंगी। जैसे सागर, जो Reliance के shares रखता है, ₹3,100 strike price पर call option बेचता है और ₹50 का premium कमाता है। अगर Reliance ₹3,100 से नीचे रहता है, तो उसे premium मिल जाता है, जैसे उसने shares rent पर दिए हों। इसी तरह, नियति ₹500 पर SBI का put option बेचती है, ₹20 का premium कमाकर यह अनुमान लगाती है कि SBI ₹500 से नीचे नहीं जाएगा।
Call Options : बुलिश सोच
Call option तब लिया जाता है जब आप bullish होते हैं – यानी आपको लगता है कि stock की कीमत बढ़ेगी। इससे आपको fixed price पर खरीदने का अधिकार मिलता है, लेकिन कोई बाध्यता नहीं होती। आप premium देकर rising price पर फायदा कमाने की कोशिश करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपको लगता है कि कोई stock बढ़ेगा, तो call option limited risk में profit का तरीका देता है।
रोज़मर्रा का उदाहरण: सागर, एक युवा investor, Infosys को लेकर bullish है, जो अभी ₹1,500 पर है। उसे लगता है कि यह ₹1,600 तक जाएगा। वह ₹1,500 strike price पर call option खरीदता है और ₹30 का premium देता है। अगर Infosys ₹1,600 पर पहुँचता है, तो वह ₹1,500 पर खरीदकर ₹7,000 (₹3,000 premium घटाकर) का मुनाफा कमाता है। उसकी bullish सोच कम risk में फायदा देती है।
Put Options : बुलिश सोच से विपरीत
Call के विपरीत, put options तब लिए जाते हैं जब आप bearish होते हैं – यानी आपको लगता है कि stock की कीमत गिरेगी। ये options आपको तय कीमत पर बेचने का अधिकार देते हैं। Premium चुकाकर आप price गिरने से profit कमा सकते हैं या खुद को loss से बचा सकते हैं। Put options bullish सोच के लिए नहीं होते क्योंकि ये गिरती कीमत पर आधारित होते हैं।
उदाहरण: ऋषिका, एक business owner, HDFC Bank को लेकर bearish है, जो ₹1,400 पर है और उसे लगता है कि यह ₹1,300 तक गिरेगा। वह ₹1,400 strike price पर put option खरीदती है और ₹25 का premium देती है। अगर HDFC ₹1,300 तक गिरता है, तो वह ₹1,400 पर बेचकर ₹10,000 (₹2,500 premium घटाकर) कमाती है। इसलिए puts bearish सोच के लिए उपयुक्त होते हैं।
Bullish होने पर आप call options का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि rising prices से profit मिलता है और risk सीमित रहता है। अगर stock नहीं बढ़ा, तो सिर्फ premium का नुकसान होता है। Down payment जैसी तुलना फिट बैठती है – आप upfront छोटा amount देते हैं ताकि भविष्य में तय कीमत पर खरीद का option मिले, और फायदा हो सके।
Puts bearish सोच के लिए होते हैं क्योंकि ये तब फायदा देते हैं जब दाम गिरते हैं। उदाहरण के लिए, अगर सागर Infosys को लेकर bullish है, और वो put लेता है, तो stock बढ़ने पर उसे नुकसान होगा। इसलिए bullish सोच में call सही विकल्प होता है।
Option Trading की मुख्य शब्दावली
मुख्य शब्द आपको option Trading को स्पष्ट रूप से समझने में मदद करते हैं।
- स्ट्राइक प्राइस (Strike Price): वह निश्चित कीमत जिस पर option contract में खरीद या बिक्री होती है।
उदाहरण -: मयंक के Reliance option की स्ट्राइक प्राइस ₹3,000 है, जिसमें खरीद या बिक्री हो सकती है। - समाप्ति तिथि (Expiration Date): वह तारीख जब option contract अमान्य हो जाता है।
उदाहरण -ऋषिका के SBI option की समाप्ति तिथि 30 जून 2025 है, जब उसका contract खत्म होगा। - प्रीमियम (Premium): वह शुल्क जो option खरीदने के लिए दिया जाता है।
- इन-द-मनी (In-the-Money): जब stock price option का इस्तेमाल करने पर लाभकारी होता है।
- उदाहरण -अदिति के TCS call की स्ट्राइक प्राइस ₹1,200 है, और यदि TCS ₹1,300 पहुंचता है तो वह लाभ में होगा।
Option Trading क्यों करें?
Options आपको कम पैसे में ज़्यादा नियंत्रण देते हैं बजाए सीधे स्टॉक्स खरीदने के।
लीवरेज (Leverage)
Options आपको कम पैसे में कई शेयरों को नियंत्रित करने की अनुमति देते हैं, सीधे स्टॉक खरीदने की बजाय। आप एक छोटा प्रीमियम देकर बड़े लाभ के अवसर पाते हैं। उदाहरण के लिए, एक call option आपको स्टॉक के बढ़ने पर बिना शेयर रखे मुनाफ़ा कमाने देता है। यह लीवरेज रिटर्न बढ़ाता है पर नुकसान केवल प्रीमियम तक सीमित रहता है।
उदाहरण: राहुल Reliance Industries में तेजी की उम्मीद करता है, जो ₹3,000 पर है। वह ₹3,000 की स्ट्राइक प्राइस वाला call option ₹50 प्रीमियम देकर 100 शेयरों के लिए खरीदता है। अगर Reliance ₹3,100 तक पहुंचता है, तो वह ₹10,000 का मुनाफा कमाता है (₹5,000 प्रीमियम घटाकर)। वो ₹5,000 में ₹3 लाख के स्टॉक को नियंत्रित करता है। इसलिए, लीवरेज न्यूनतम निवेश में उसके लाभ को अधिकतम करता है।
क्यों ज़रूरी है: लीवरेज राहुल जैसे सीमित फंड वाले शुरुआती निवेशकों के लिए options को आदर्श बनाता है, जिससे उच्च रिटर्न मिलते हैं।
आय सृजन
call या put जैसे options बेचकर आप प्रीमियम के रूप में आय अर्जित कर सकते हैं। यदि स्टॉक स्ट्राइक प्राइस तक नहीं पहुंचता, तो आप प्रीमियम रखते हैं। उदाहरण के लिए, अपने शेयरों पर call बेचकर नकद आय बनाना। यह उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो नियमित आय चाहते हैं।
उदाहरण: अदिति के पास ₹1,200 पर TCS के शेयर हैं और वह ₹1,250 स्ट्राइक वाले call option बेचती है। वह प्रति शेयर ₹40 प्रीमियम कमाती है। कुल ₹4,000 100 शेयरों के लिए। यदि TCS ₹1,250 से नीचे रहता है, तो वह प्रीमियम रखती है और बिना शेयर बेचे आय अर्जित करती है। इसलिए, option बेचने से स्थिर नकदी प्रवाह मिलता है।
क्यों ज़रूरी है: option बेचना निवेशकों को स्थिर आय प्राप्त करने में मदद करता है, खासकर स्थिर बाजार में।
हेजिंग (Hedging)
Options आपकी निवेश राशि को गिरावट से बचाते हैं। जैसे बीमा करते हैं। put option खरीदकर आप स्टॉक को एक निश्चित कीमत पर बेच सकते हैं अगर उसका भाव गिरता है। यह नुकसान को सीमित करता है और शेयर आपके पास रहते हैं। हेजिंग उन निवेशकों के लिए बेहतर है जो सावधानीपूर्वक जोखिम प्रबंधन करना चाहते हैं।
उदाहरण: ऋषिका, एक व्यवसायी, के पास ₹1,400 पर HDFC बैंक के शेयर हैं, लेकिन उसे बाजार गिरावट का डर है। वह ₹1,400 स्ट्राइक वाली put option ₹25 प्रीमियम देकर खरीदती है। यदि HDFC ₹1,300 तक गिरता है, तो वह ₹1,400 पर बेचकर ₹10,000 बचाती है (₹2,500 प्रीमियम घटाकर)। इसलिए, हेजिंग उसके पोर्टफोलियो को सुरक्षित रखती है।
क्यों ज़रूरी है: हेजिंग निवेशकों को जोखिम कम करने में मदद करती है और बाजार के उतार-चढ़ाव के दौरान स्थिरता बनाती है।
अनुमान लगाना
Options के जरिए आप बिना शेयर खरीदे स्टॉक की कीमत की चाल पर दांव लगा सकते हैं। call से बढ़ोतरी पर और put से गिरावट पर। जोखिम सीमित होता है, केवल प्रीमियम। उदाहरण के लिए, call option बुलिश दृष्टिकोण के लिए और put option बेयरिश अनुमान के लिए उपयुक्त है। इससे कीमतों के पूर्वानुमान में विकल्प trading रोमांचक बनती है।
उदाहरण: प्रतिक्षा अनुमान लगाती हैं कि Maruti Suzuki का भाव ₹10,000 से बढ़कर ₹10,500 होगा। वह ₹10,000 की स्ट्राइक प्राइस पर call option ₹300 प्रीमियम देकर खरीदती हैं। यदि Maruti ₹10,500 पहुंचता है, तो वह ₹50,000 कमाती हैं (₹30,000 प्रीमियम घटाकर)। विपरीत स्थिति में, वह गिरावट से लाभ के लिए put खरीदेगी।
क्यों ज़रूरी है: अनुमान लगाना ट्रेडर्स को कम जोखिम में बाजार के रुझानों से लाभ कमाने देता है।

मॉड्यूल 2 – सफलता के लिए तैयारी
Beginner-Friendly Platforms खोजें
सही ब्रोकरेज चुनना option trading शुरू करने वालों के लिए पहला जरूरी कदम है। क्योंकि यह आपके मार्केट तक पहुंच का रास्ता होता है। Beginner-friendly platforms में आसान इंटरफेस, साफ़ नेविगेशन और ट्रेडिंग को सरल बनाने वाले टूल होते हैं। उदाहरण के लिए, राहुल options trading सीखना चाहता है। उसे ऐसा प्लेटफ़ॉर्म चाहिए जो जटिल फीचर्स से परेशान न करे। ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स, या एंजेल वन जैसे ब्रोकरेज भारत में लोकप्रिय हैं। क्योंकि इनके ऐप और वेबसाइट यूजर फ्रेंडली हैं। जिससे शुरुआती लोग call या put options खरीदना आसान समझ पाते हैं। एक अच्छा प्लेटफ़ॉर्म एक भरोसेमंद मार्गदर्शक की तरह होता है। जो नए ट्रेडर्स को technical शब्दों में उलझाए बिना आत्मविश्वास से ट्रेड करने में मदद करता है।
कम कमीशन
Options trading में अक्सर बार-बार ट्रेड करना पड़ता है। इसलिए कम कमीशन जरूरी है ताकि खर्च कम हो। ज्यादा फीस से मुनाफा कम हो सकता है। खासकर नए ट्रेडर्स के लिए जिनके पास सीमित पूंजी होती है। कम कमीशन options trading में खास महत्व रखता है क्योंकि प्रीमियम पहले से ही एक खर्च होता है और अतिरिक्त चार्ज से रिटर्न कम हो सकता है। अलग-अलग प्लेटफ़ॉर्म की फीस तुलना करके आप मुनाफा ज्यादा बढ़ा सकते हैं, खासकर जब ट्रेड कम मात्रा में हो।
अच्छे शैक्षिक संसाधन
एक ब्रोकरेज जिसमें अच्छे शैक्षिक संसाधन हों। शुरुआती लोगों की सीखने की प्रक्रिया तेज कर सकता है। Tutorials, webinars, ब्लॉग, और वीडियो options trading के कांसेप्ट्स जैसे strike price या Greeks को आसान बनाते हैं। जैसे ज़ेरोधा। क्योंकि उसमें “Varsity” नाम का मुफ्त शिक्षा पोर्टल है जो call और put options को सरल भाषा में समझाता है। । ऐसे ब्रोकरेज जो glossary, strategy guides, या live support देते हैं, वे नए ट्रेडर्स के लिए बहुत मददगार होते हैं, खासकर जब option pricing और risk management जैसे जटिल विषयों को समझना हो।
Paper Trading अकाउंट
Paper trading, यानी simulated trading, शुरुआती लोगों के लिए बेहद जरूरी है। क्योंकि यह असली पैसे खोए बिना options trading की प्रैक्टिस करने देता है। यह पायलट के flight simulator जैसा है। जहां आप सुरक्षित माहौल में सीखते और गलतियां करते हैं। Paper trading अकाउंट से ट्रेड्स simulate कर सकते हैं, अपनी रणनीतियां जांच सकते हैं और मार्केट मूवमेंट समझ सकते हैं बिना किसी आर्थिक नुकसान के। Paper trading से परिचय होता है, डर कम होता है, और असली ट्रेडिंग के लिए तैयारी होती है।
कई ब्रोकरेज paper trading अकाउंट ऑफर करते हैं, जो आपको वर्चुअल पैसे से ट्रेडिंग की प्रैक्टिस करने देते हैं। यह फीचर शुरुआती लोगों के लिए गेम-चेंजर है। इससे बिना जोखिम के एक्सपेरिमेंट कर सकते हैं। Paper trading सिद्धांत और अभ्यास के बीच का पुल है, जो शुरुआत करने वालों के लिए आवश्यक उपकरण है। ऐसा ब्रोकरेज चुनना जो यह सुविधा देता हो, आपको असली पैसे लगाने से पहले स्किल्स विकसित करने में मदद करता है।
क्यों जरूरी है: एक सही चुना हुआ ब्रोकरेज सफल ट्रेडिंग की नींव रखता है। राहुल को यूजर फ्रेंडली प्लेटफॉर्म मिलता है, सागर कम फीस से बचत करता है, नियति शिक्षात्मक टूल से सीखती हैं, और आदिती सुरक्षित प्रैक्टिस करती हैं। ये सभी मिलकर ट्रेडिंग को आसान, किफायती और शिक्षाप्रद बनाते हैं, जिससे शुरुआत करने वाले आत्मविश्वास के साथ शुरू कर पाते हैं।
मॉड्यूल 1 और 2 शुरुआती option trading की नींव रखते हैं। इन में options को स्टॉक्स को एक निश्चित कीमत पर खरीदने या बेचने के कॉन्ट्रैक्ट के रूप में समझाया गया है। साथ ही प्रीमियम खर्च और ट्रेडिंग शुरू करने के व्यावहारिक कदम बताए गए हैं। मॉड्यूल 1 में राहुल, एक कॉलेज छात्र, Reliance Industries का call option ₹50 प्रीमियम पर खरीदता है, कीमत बढ़ने पर लाभ कमाने की उम्मीद में।
जबकि आदिती, एक शिक्षक, HDFC Bank का put option खरीदकर गिरावट से फायदा उठाती हैं। मॉड्यूल 2 में सागर जैसे युवा निवेशकों को ज़ेरोधा जैसे यूजर फ्रेंडली, कम फीस वाले ब्रोकरेज चुनने और रिषिका की तरह paper trading से प्रैक्टिस करने की सलाह दी गई है। “Greeks” जैसे थेटा को समझना अगला कदम है ताकि आप option trading और जोखिम को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकें और स्मार्ट ट्रेडिंग कर सकें।
FAQ
Option trading क्या है?
Option trading स्टॉक को एक निश्चित कीमत पर खरीदने या बेचने का कॉन्ट्रैक्ट है, जिसमें प्रीमियम लगता है। स्टॉक की तरह शेयर मालिकाना नहीं मिलता, सिर्फ ट्रेड करने का अधिकार मिलता है।
कॉल और पुट ऑप्शन क्या हैं?
कॉल से स्टॉक खरीद सकते हैं, जब बुलिश हो; पुट से बेच सकते हैं, जब बाजार गिरने वाला हो।
Option Premium क्या होता है?
ऑप्शन प्रीमियम वह राशि है जो ऑप्शन खरीदने वाला विक्रेता को upfront भुगतान करता है, अधिकार के बदले में।
ऑप्शन खरीदने और बेचने में क्या अंतर है?
ऑप्शन खरीदने वाला केवल प्रीमियम का जोखिम उठाता है, जबकि ऑप्शन बेचने वाला (राइटर) असीमित जोखिम लेता है और प्रीमियम कमाता है।
एक्सपायरी डेट क्या होती है?
एक्सपायरी डेट वह अंतिम तारीख होती है जब तक ऑप्शन को प्रयोग किया जा सकता है।
Disclaimer
यह option trading सामग्री केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए है, वित्तीय सलाह नहीं। Option trading में महत्वपूर्ण जोखिम होते हैं, जिनमें प्रीमियम या उससे अधिक का नुकसान भी शामिल है। ट्रेडिंग से पहले हमेशा एक योग्य वित्तीय सलाहकार से सलाह लें। राहुल, सागर, नियति, आदिती, रिषिका, मयंक, और प्रतिक्षा जैसे पात्र काल्पनिक और उदाहरण के लिए बनाए गए हैं। पिछला प्रदर्शन भविष्य के परिणाम की गारंटी नहीं देता। लेखक और प्लेटफ़ॉर्म किसी भी वित्तीय नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं हैं जो इस जानकारी पर आधारित ट्रेडिंग निर्णय से हो।
Option Trading से पहले जरुर पढ़े – शेयर बाजार क्या है?
Stock Market में निवेश शुरू करने के लिए लोकप्रिय ऐप्स:
- Zerodha Kite: साफ इंटरफ़ेस, शुरुआती निवेशकों के लिए अच्छा। Click to open free account with Zerodha (Kite-App)
- Groww: सरल ऐप, म्यूचुअल फंड और शेयरों के लिए अच्छा सपोर्ट।
- Upstox: कम शुल्क और उपयोग में आसान।
- Angel One: शोध उपकरण और सलाह प्रदान करता है।
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